Farmers Update 2024: सरसों गेहूं चना आलू एवं मटर की फसल को शीतलहर एवं पाले से बचने के सभी किसान फटाफट उपाय जानिए
इन दिनों देश के ज्यादातर राज्यों में कोहरे और शीतलहर का प्रकोप जारी है. मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि सर्दी का असर और बढ़ेगा ऐसे में आने वाले दिनों में पाला पड़ने की संभावना है. इससे रबी फसलों को 80 फीसदी तक नुकसान होने की आशंका है इस बार रबी सीजन में गेहूं सरसों चना आलू मटर समेत कई फसलों को नुकसान हो सकता है यदि समय रहते फसलों को पाले से बचाने का इंतजाम कर लिया जाए तो संभावित नुकसान से बचा जा सकता है।
आपको बता दें कि पाला फसलों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है जिसके कारण फसलों में दाने ठीक से नहीं बन पाते हैं और फसल का विकास नहीं हो पाता है, जिसके कारण उपज में भारी कमी आती है और किसान को नुकसान उठाना पड़ता है दिसंबर और जनवरी माह में पाला पड़ने की अधिक संभावना रहती है ऐसे में फसलों को पाले से बचाने के आसान उपाय जानना बेहद जरूरी हो जाता है
पाला फसलों को किस प्रकार हानि पहुँचाता है
पाले के प्रभाव से पेड़-पौधों की कोशिकाओं और ऊतकों में मौजूद पानी बर्फ में बदल जाता है और उसकी मात्रा बढ़ जाती है। आयतन बढ़ने से पौधे के ऊतक कोशिकाएँ और संवहनी नलिकाएँ आदि फट जाती हैं और इससे पौधा मर जाता है। कई बार पाले के कारण पूरी फसल खराब हो जाती है।
पाले से किन फसलों को 80 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है?
सर्दी के मौसम में शीत लहर और पाला पड़ता है इससे फसलों को काफी नुकसान होता है पाले से जिन फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है उनमें टमाटर आलू, मिर्च बैंगन आदि सब्जियां शामिल हैं वहीं फलों में पपीता और केले के पौधों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। इसके अलावा मटर चना अलसी, जीरा धनिया सौंफ और अफीम की फसल में सबसे ज्यादा 80 से 90 फीसदी तक नुकसान हो सकता है
फसल को पाले से बचाने के लिए क्या उपाय करने चाहिए
फसलों को पाले से बचाने के लिए किसान कई आसान उपाय अपनाकर नुकसान से बच सकते हैं फसलों को पाले से बचाने के कुछ आसान उपाय या तरीके इस प्रकार हैं।
किसान अपने खेत का तापमान कैसे बढ़ाएँ
जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो, उस रात लगभग 12 से 2 बजे के आसपास खेत की उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में कूड़ा-कचरा या कूड़ा-कचरा खेत के चारों ओर की मेड़ों पर फैला देना चाहिए। खेतों के किनारों पर बोई गई फसलें। बेकार घास एवं पुआल को जला देना चाहिए ताकि खेत में धुंआ हो जिससे खेत के वातावरण में गर्मी बनी रहे जिससे फसलों पर पाले का प्रभाव कम होगा। इस विधि से तापमान को लगभग 4 डिग्री सेल्सियस तक आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
फसलों को ढककर सुरक्षित रखें
शीत लहर या पाले से बचाने के लिए नर्सरी में फसलों को टाट पॉलिथीन या पुआल से ढक दें इससे मिट्टी का तापमान कम नहीं होगा और फसलें पाले से प्रभावित नहीं होंगी साथ ही विंडप्रूफ टाई हवा की दिशा यानी उत्तर-पश्चिम की ओर ही बांधनी चाहिए नर्सरी तथा किचन गार्डन में उत्तर-पश्चिम दिशा में क्यारियों के किनारों पर इन्हें बांधकर रखना चाहिए तथा दिन में पुनः हटा देना चाहिए
किसान अपने खेत में बहुत हल्की सिंचाई करें
जब भी पाला पड़ने की संभावना हो तो खेत में सिंचाई कर देनी चाहिए. जब पौधा इस पानी को सोख लेता है तो पौधे के अंदर की बर्फ घुल जाती है और यह पौधे को मरने से बचाती है। जबकि नम मिट्टी में लंबे समय तक गर्मी बनी रहती है और मिट्टी का तापमान बिल्कुल भी कम नहीं होता है मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी होने से फसल पर शीत लहर एवं पाले का प्रभाव कम हो जाता है जिससे नुकसान की संभावना कम होती है कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में फसलों की सिंचाई करने से तापमान 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया जा सकता है जिससे फसलों पर पाले का प्रभाव कम हो जाता है।
फसलों पर सल्फर का छिड़काव करें
जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उस दिन फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए इससे फसल पर पाले का प्रभाव कम हो जाता है इसके लिए एक लीटर सल्फ्यूरिक एसिड को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक स्प्रेयर से छिड़काव करना चाहिए। यदि इस अवधि के बाद भी पाला पड़ने की सम्भावना हो तो 15 दिन के अन्तराल पर सल्फ्यूरिक एसिड का छिड़काव कर सकते हैं।
सल्फ्यूरिक एसिड के छिड़काव से क्या लाभ होगा
सरसों गेहूं चना आलू मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड का छिड़काव किया जाता है यह न केवल फसलों को पाले से बचाता है बल्कि पौधों में आयरन की जैविक और रासायनिक गतिविधि को भी बढ़ाता है, जिससे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है इसके अलावा यह फसल को जल्दी पकाने में भी मदद करता है।
इस प्रकार आप उपरोक्त आसान उपाय अपनाकर अपनी फसल को शीतलहर और पाले से बचाकर संभावित नुकसान से बच सकते हैं। ध्यान रखें कि किसी भी रासायनिक दवा का प्रयोग करते समय अपने नजदीकी कृषि विभाग से सलाह अवश्य लें।