Kisan Update 2024: गन्ने की खेती उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों ने किसानों को गन्ने की बुआई को लेकर कुछ सावधानियां बरतने के लिए आगाह किया है वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बुआई के समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो गन्ने में रोग नहीं लगेंगे और कम लागत में अच्छा उत्पादन भी मिलेगा
इन दिनों गन्ने की बुआई चल रही है
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों ने किसानों को गन्ने की बुआई को लेकर कुछ सावधानियां बरतने के लिए आगाह किया है वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बुआई के समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो गन्ने में रोग नहीं लगेंगे और कम लागत में अच्छा उत्पादन भी मिलेगा
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक प्रकाश यादव ने बताया कि शरदकालीन गन्ने की बुआई के लिए यह समय बहुत उपयुक्त है किसानों को गहरी जुताई कर खेतों को तैयार करना होगा। इसके बाद ट्रेंच विधि बनाकर इसमें प्रति हेक्टेयर 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलानी होती है इसके बाद सिंगल बड से गन्ना बोया जा सकता है एक कली से बुआई करने पर गन्ने की बीज की खपत 10-12 क्विंटल होगी जबकि दो आँखों से गन्ना बोने पर बीज की खपत 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी डॉ. श्रीप्रकाश यादव ने बताया कि एक हेक्टेयर में 25000 गन्ने के पौधे लगाने चाहिए
लाइन की दूरी पर विशेष ध्यान दें
गन्ने की बुआई के समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लाइन से लाइन की दूरी 4 फीट से कम न हो तथा बुआई 20 सेमी तक की गहराई पर करें ताकि गन्ने का जमाव अच्छा हो सके गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक श्री प्रकाश यादव ने बताया कि गन्ने की बुआई के दौरान किसानों को प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम यूरिया व 500 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करना होगा इसके अलावा 100 किलो एमओपी 25 किलो जिंक सल्फेट और 25 किलो रिएजेंट का भी इस्तेमाल करें इन सभी खादों को कूड़े में डालने के बाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें
जैविक खाद का भी प्रयोग करें
जैविक एवं रासायनिक खाद के साथ-साथ जैविक खाद का भी प्रयोग करना बहुत जरूरी है गन्ने की बुआई के दौरान बवेरिया बैसियाना मेटारिज़ियम एनिसोपली 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से तथा पीएसबी (फॉस्फोरस सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया) 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा एज़ोटोबैक्टर 10 किलोग्राम की दर से भी प्रयोग करना चाहिए इसके बाद मिट्टी में जैविक खाद मिलाएं और सिंगल बड या डबल बड वाले गन्ने के बीज को कुंड में रखें और इसे 5 सेमी तक मिट्टी की परत से ढक दें 20 से 25 दिनों के बाद गन्ने की पूरी कटाई हो जाएगी और लगभग एक महीने के बाद गन्ने में हल्की सिंचाई करें सिंचाई के समय लगभग 70 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें
सहफसली खेती किसानों के लिए मददगार होगी
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक डॉ प्रकाश यादव का कहना है कि गन्ने के साथ सहफसली खेती भी की जा सकती है। सहफसली खेती करने से किसानों को गन्ने की लागत का बड़ा हिस्सा सहफसली खेती से मिल जाता है गन्ने की फसल तैयार करने में किसानों को काफी आर्थिक मदद मिलती है किसान सहफसल के रूप में आलू, लहसुन, लाही, मटर और राजमा भी उगा सकते हैं
गन्ने की फसल के प्रमुख रोग एवं उनका नियंत्रण
गन्ने का पोक्काबोइंग रोग यह गन्ने का एक द्वितीयक रोग है जो वायुजनित कवक फुसैरियम ऑक्सीस्पोरम द्वारा फैलता है
- गन्ने का लाल सड़न रोग
- विल्ट
- स्मट या कंडवा रोग
- गन्ने के पेड़ का झुलसा रोग
- गन्ने का लाल धारी रोग
- ग्रासी शूट ऑफ गन्ने का रोग