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UP board result 2020: यूपी बोर्ड इंटर और मैट्रिक के रिजल्ट में हो सकती है देरी, कॉपियां जांचने में लगेगा दोगुना समय

सोशल डिस्टेंसिंग से यूपी बोर्ड की कॉपियों जांचने में अब दोगुना समय लग सकता है। एक तिहाई कर्मचारियों के साथ बोर्ड मुख्यालय सोमवार से खुल गया। इस समय सबसे महत्वपूर्ण काम प्रजेश के 275 केंद्रों पर 3.10 करोड़ से अधिक कॉपियों का मूल्यांकन है। इसके लिए शासन से आवश्यक मार्गदर्शन लेते हुए जिलों को निर्देश भेजे जा रहे हैं। कॉपियों जांचने में सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा जाएगा। इसके चलते दोगुना समय लगने का अनुमान है। ऐसे में परिणाम जून के दूसरे सप्ताह से पहले आना मुश्किल है। कोरोना के कारण जो हालात पैदा हुए हैं उसमें से 25 से 20 दिन में कॉपियां जांचने का अनुमान है। जिन स्कूलों को मूल्यांकन केंद्र बनाया गया है वहां बैठने की सीमित जगह है। पहले एक बैंच पर चार-चार टीचर बैठकर कॉपियां जांच लेते थे, लेकिन केंद्र सरकार ती गाइडलाइंस के अनुसार अब दो लोगों के बीच कम से कम दो मीटर की दूरी रखनी होगी।



यही नहीं सभी 275 मूल्यांकन केंद्रों का एक साथ मूल्यांकन शुरू होना भी मुश्किल है। आगरा, लखनऊ, नोएडा, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद जैसे जिलों की समीक्षा करनी होगी क्योंकि इन जिलों में 50 से अधिक कोरोना मरीज है। और कई मोहल्लो हॉस्पॉट हैं। ऐसे में उन इलाकों में स्थित मूल्यांकन केंद्रों में कॉपियों जांची नहीं जा सकेंगी। सूत्रों के अुसार 25 से कॉपी जांचने की शुरुआत तो हो जाएगी, लेकिन पूरा होने में दोगुना समय लगेगा।

लेट हुआ रिजल्ट
लॉकडाउन बढ़ने से रिजल्ट में और देरी होगी। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 56 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं के परिणाम 24 अप्रैल तक घोषित होने थे। लेकिन अब फिलहाल मई के आखिर तक रिजल्ट जारी होने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। रिजल्ट लेट आने से स्क्रूटनी और कंपार्टमेंट परीक्षाओं का भी लेट होना तय है।
एक जुलाई से शुरू हो सकता है नया सत्र
यूपी बोर्ड का 2020-21 शैक्षिक सत्र एक जुलाई से शुरू हो सकता है। सत्र एक अप्रैल से ही शुरू होना था लेकिन लॉकडाउन के कारण बेपटरी हो गया। ऐसे में शासन के पास सत्र एक जुलाई से शुरू करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता दिखाई नहीं दे रहा। पूर्व में भी एक जुलाई से सत्र शुरू होता था लेकिन सीबीएसई से बराबरी की होड़ में तीन साल पहले सत्र को एक अप्रैल से कर दिया गया था।

लॉकडाउन बढ़ने के कारण ही कक्षा 9 व 11 का अग्रिम पंजीकरण और 10वीं-12वीं का परीक्षा फार्म भरवाने का काम भी पिछड़ेगा। ये काम पिछले साल सितंबर में पूरा हो गया था लेकिन इस साल जिस तरह से पढ़ाई और प्रवेश का काम प्रभावित हुआ है, पंजीकरण एवं परीक्षा के आवेदन पत्र की तिथि भी बढ़ना तय है। ऐसे में हाईस्कूल और इंटर की बोर्ड परीक्षा पर भी असर पड़ना तय है। इस साल बोर्ड ने 18 फरवरी से परीक्षाएं शुरू कर दी थी। लेकिन अगले साल फरवरी में परीक्षा करवाना मुश्किल होगा क्योंकि पाठ्यक्रम ही पूरा नहीं हो सकेगा।



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