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गन्ने की खेती: गन्ना किसानों को इंटरक्रॉपिग फसलें जरूर लगानी चाहिए कम समय में ज्यादा मुनाफा मिलेगा

गन्ने की खेती: गन्ना किसानों को इंटरक्रॉपिग फसलें जरूर लगानी चाहिए कम समय में ज्यादा मुनाफा मिलेगा

शरदकालीन गन्ने की खेती में लाभ की गुंजाइश बढ़ाने और गन्ना उत्पादन से अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए इंटरक्रॉपिंग यानी सहफसली खेती की जा सकती है। गन्ना एक लंबी अवधि की फसल है। इसके विकास के दौरान आय अर्जित करने के लिए इंटरक्रॉपिंग एक अच्छा विकल्प है। इससे किसानों की आय को समर्थन मिलता है और प्रति एकड़ आय भी बढ़ती है।

देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और करोड़ों किसानों को धन से सशक्त बनाने में गन्ने की खेती, चीनी और गुड़ उद्योगों का विशेष योगदान है। इससे देश के करोड़ों किसानों और मजदूरों को रोजगार मिल रहा है लेकिन गन्ना किसानों को अपनी उपज के लिए लगभग 12 महीने के लंबे इंतजार और कभी-कभी चीनी मिलों द्वारा भुगतान में देरी की समस्या का सामना करना पड़ता है इसलिए शरदकालीन गन्ने की खेती में लाभ की गुंजाइश बढ़ाने और गन्ना उत्पादन से अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए इंटरक्रॉपिंग यानी सहफसली खेती एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है गन्ना एक लंबी अवधि की फसल है इसके विकास के दौरान आय अर्जित करने के लिए इंटरक्रॉपिंग एक अच्छा विकल्प है इससे किसानों की आय को समर्थन मिलता है और प्रति एकड़ आय भी बढ़ती है

crops in sugarcane
crops in sugarcane

गन्ने में सहफसली फसल लेने से मुनाफा बढ़ेगा

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने गन्ना किसानों को अधिक मुनाफा दिलाने के लिए गन्ने में सहफसली फसलें उगाने की तकनीक विकसित की है जिससे उन्हें गन्ने की फसल में मुनाफा पाने के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा कृषि वैज्ञानिक गन्ने में सहफसली फसलें उगाने का सुझाव दे रहे हैं ताकि किसानों को गन्ने की उपज के मूल्य के अलावा अतिरिक्त आय भी मिल सके और प्रति एकड़ आय भी बढ़े।

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर किसान उन्नत तरीकों से शीतकालीन गन्ने की खेती करें तो 12 महीने के बाद उन्हें प्रति एकड़ 35 से 38 टन गन्ने की पैदावार मिलती है शरद ऋतु में अंतरफसल के रूप में गन्ने में आलू, राजमा, सरसों, गेहूं, मटर और प्याज की खेती की जाती है तीन से चार माह में ही 40 से 50 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है

गन्ने के साथ आलू या राजमा की खेती के फायदे

यदि शरद ऋतु में गन्ने के साथ आलू की अन्त फसलीय खेती की जाए तो आलू की उपज लगभग 110 कुन्तल तथा गन्ने की उपज लगभग 37 से 38 टन प्रति एकड़ होती है। गन्ना-आलू सहफसली खेती में गन्ना तीन फीट की दूरी पर बोया जाता है। बीच में दो कतारों में आलू बोये जाते हैं गन्ना एवं आलू की सहफसली खेती से दोनों फसलों की उपज बढ़ जाती है इस प्रकार आलू की फसल से प्रति एकड़ 35 से 40 हजार रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी

गन्ने के साथ राजमा की सहफसली खेती भी की जाती है इसमें गन्ने की पैदावार 34 से 35 टन प्रति एकड़ होती है जबकि राजमा की पैदावार लगभग 07 क्विंटल प्रति एकड़ होती है इस प्रकार गन्ने की फसल के अलावा राजमा से प्रति एकड़ 60 से 65 हजार रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है

किसान गन्ने के साथ सरसों या गेहूं की बुआई करें

शरदकालीन गन्ने की सहफसली खेती में गन्ने के साथ सरसों की खेती कर बेहतर मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है इस विधि में गन्ने को तीन फीट की दूरी पर बोया जाता है. बीच में सरसों की दो कतारें बोई जाती हैं। इस विधि से लगभग 30 से 32 टन गन्ने की उपज प्राप्त होती है। सरसों की पैदावार छह क्विंटल प्रति एकड़ है गन्ना-गेहूं सहफसली खेती के लिए गेहूँ की बुआई नालीदार क्यारी प्रणाली से की जाती है।

इसी प्रकार गेहूं की फसल से उपज 16 से 17 क्विंटल होती है।

इस तकनीक में क्यारी पर 20 सेमी की दूरी पर गेहूं की एक लाइन बनाकर रखी जाती है गन्ने की बुआई कूड़ों से बनी नालियों में की जाती है इस विधि से प्रति एकड़ 32 टन गन्ने की उपज प्राप्त होती है। इसी प्रकार गेहूं की फसल से उपज 16 से 17 क्विंटल होती है। इससे प्रति हेक्टेयर गेहूं की फसल से 25 से 30 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. इसके अलावा गन्ना किसान गन्ने के साथ-साथ गन्ना-मटर, गन्ना-लहसुन, गन्ना-प्याज, गन्ना-धनिया, गन्ना-गोभी की सहफसली खेती करके बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। गन्ना आधारित अंतरफसलीय फसलों में यह ध्यान रखना चाहिए कि अंतरफसली फसलें कम अवधि की होनी चाहिए। मिट्टी पर अनुकूल प्रभाव अवश्य पड़ेगा

गन्ने में सहफसली खेती के लिए उन्नत बुआई के तरीके

गन्ना बोने की विधियों में अलग-अलग परिस्थितियों के लिए नाली विधि, समतल विधि, गड्ढा विधि तथा नाली विधि विकसित की गई है। इसमें नाली विधि एवं गड्ढा विधि द्वारा बड़े पैमाने पर गन्ना बोया जाता है नालियाँ 30 सेमी गहरी, एक नाली में गन्ने की दो पंक्तियाँ डाली जाती हैं वर्तमान समय में गन्ने की बुआई के लिए नई विधियाँ बहुत उपयोगी पाई गई हैं इस तकनीक में पहले गन्ने की नर्सरी तैयार की जाती है और फिर तैयार नर्सरी के पौधों को मुख्य खेत में लगाया जाता है यह विधि अंतरफसलीय खेती के लिए अधिक उपयोगी पाई गई है

सहफसली खेती से आय में वृद्धि

दरअसल, गन्ने में सहफसली फसलों की खेती किसानों को गन्ने की कीमत देर से मिलने के कारण होने वाली समस्याओं को दूर करने में सहायक है। प्रति एकड़ आय में वृद्धि होती है। फसल उत्पाद विविधीकरण की दृष्टि से मिश्रित कृषि प्रणाली अपनाने से बहुउद्देश्यीय आवश्यकताएँ पूरी होती हैं। सहफसली खेती से होने वाली आय से गन्ने की फसल का प्रबंधन सुचारु रूप से किया जा सकता है। इससे सीमांत किसानों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इस विधि से उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों में दलहनी एवं तिलहनी फसलें लगाई जा सकती हैं जो सामान्यतः सीमांत भूमियों में लगाई जाती हैं।

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