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Sugarcane Variety गन्ने की खास किस्म किसानों को देगी 900 प्रति क्विंटल हैक्टेयर की पैदावार जानिए यहाँ से पूरी जानकारी

Sugarcane Variety गन्ना खेती करने वाले किसानों के लिए गन्ने की एक खास किस्म मौजूद है जो उनकी आय बढ़ाने में मददगार हो सकती है खास बात यह है कि इस गन्ने की खेती कर कई किसान मालामाल हो रहे हैं दरअसल इस गन्ने की किस्म से गुड़ बनाकर किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं इस किस्म से बना गुड़ काफी अच्छी क्वालिटी का बताया जाता है जिसकी बाजार में मांग बढ़ती जा रही है ऐसे में ज्यादातर किसान इसी किस्म के गन्ने को पसंद कर रहे हैं आपको बता दें कि गन्ने की खेती में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है ऐसे में यहां के किसान इस खास किस्म के गन्ने की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

यह गन्ने की कौन सी किस्म है

गन्ने की किस्म 14201 का विकास भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ द्वारा किया गया है इस किस्म को वर्ष 2000 में विकसित किया गया था लेकिन अब यह किस्म किसानों के लिए बहुत लोकप्रिय हो रही है यह किस्म गन्ने की दूसरी अच्छी किस्म मानी जाती है जो 0238 किस्म के बाद तेजी से लोकप्रिय हो रही है गन्ने की यह किस्म गुड़ बनाने के लिए भी उपयोगी पाई गई है ऐसे में किसान इस किस्म की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

Sugarcane Variety
Sugarcane Variety

जानिए क्या हैं गन्ने की किस्म 14201 की विशेषताएँ 

गन्ने की 14201 किस्म वसंतकालीन गन्ने की सबसे अच्छी किस्म मानी जाती है। इस किस्म के गन्ने में कई विशेषताएं पाई जाती हैं जो इसे खास बनाती हैं गन्ने की इस किस्म की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं

  • गन्ने की यह किस्म सीधी खड़ी रहती है
  • देर से पकने वाली गन्ना किस्म 14233 की तुलना में गन्ना किस्म 14201 का गन्ना मध्यम कठोरता वाला सीधा मोटा और ठोस होता है
  • इस किस्म के गन्ने में चीनी की मात्रा 18.6 प्रतिशत होती है जबकि चीनी की मात्रा 14.55 प्रतिशत होती है
  • गन्ने की यह किस्म लाल सड़न सहित अन्य बीमारियों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।
  • इस किस्म के गन्ने से बने गुड़ का रंग आकर्षक और बेहतर गुणवत्ता वाला होता है।
  • गन्ने की 14201 किस्म का उत्पादन 900 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है

किसानों को सलाह किसानों को एक ही प्रजाति पर निर्भर नहीं रहना चाहिए

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आलोक शिव ने किसानों को सुझाव दिया है कि किसानों को 50 प्रतिशत अगेती गन्ना और 50 प्रतिशत सामान्य प्रजाति का गन्ना बोना चाहिए। किसानों को गन्ने की एक ही प्रजाति या किस्म पर निर्भर नहीं रहना चाहिए यदि किसान खेत के आधे क्षेत्रफल में दो प्रजाति के गन्ने की खेती करें तो नुकसान की संभावना कम हो सकती है और लाभ की मात्रा बढ़ सकती है।

किसानों के बीच गन्ने की 0238 किस्म भी है लोकप्रिय

गन्ने की उपरोक्त किस्मों के अलावा 0238 किस्म भी यूपी के गन्ना किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है इस किस्म की वजह से न सिर्फ यूपी के किसानों की किस्मत बदल गई बल्कि उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन के साथ-साथ चीनी उत्पादन में भी नंबर वन बन गया है

क्या है गन्ने की किस्म 0238 की विशेषताएँ

गन्ने की अधिक उपज देने वाली किस्मों में से 0238 का नाम सबसे पहले आता है यह गन्ने की अधिक उपज देने वाली किस्म मानी जाती है और किसानों के बीच काफी लोकप्रिय भी है यूपी में ज्यादातर किसान इसी किस्म के गन्ने की खेती करते हैं यह किस्म लाल सड़न रोग के प्रति भी मध्यम प्रतिरोधी है यह गन्ने की एक प्रारंभिक किस्म है जिसकी खोज कृषि वैज्ञानिकों ने वर्ष 2009 में की थी

इस प्रजाति का गन्ना वजन में बेहतर होता है साथ ही इसका उत्पादन भी बेहतर होता है इस किस्म के गन्ने में रोग भी कम लगते हैं गन्ने की इस किस्म को दोमट और बलुई सहित सभी प्रकार की मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है इस प्रजाति का गन्ना सीधा एवं लम्बा होता है उत्तराखंड में इसकी औसत उपज 750 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से 800 क्विंटल तक है

किसानों को इन प्रजाति के गन्ने की खेती नहीं करनी चाहिए

गन्ना प्रजाति 11015 एवं पीवी 95 पर प्रतिबंध लगा दिया गया है क्योंकि यह किस्म पूरी तरह से लाल सड़न रोग से प्रभावित हो चुकी है. ऐसे में किसानों को गन्ने की इन किस्मों की खेती नहीं करनी चाहिए. हालाँकि किस्म 0238 भी लाल सड़न रोग से प्रभावित है लेकिन यह किस्म उत्तर प्रदेश में सबसे लोकप्रिय किस्म है इसी किस्म के कारण आज उत्तर प्रदेश गन्ना एवं चीनी उत्पादन में शीर्ष पर है

ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने क्षेत्र और जलवायु के अनुसार गन्ने की किस्म का चयन करें इसके लिए किसानों को क्षेत्रफल के अनुसार गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा अनुशंसित किस्मों की ही बुआई करनी चाहिए इसके लिए आप गन्ना अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों से भी सलाह ले सकते हैं इसके अलावा आप अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के अधिकारियों से भी इस संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

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